भारत ने एक और बड़ी आर्थिक छलांग लगाई है। अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। जापान को पीछे छोड़ते हुए भारत ने यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने यह जानकारी दी और बताया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वर्ष 2025-26 में 4.19 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने इस उपलब्धि को “कोई छोटी बात नहीं” बताया और इसे एक सपना पूरा होने जैसा कहा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि जब वे बिजनेस स्कूल में थे, तब भारत का जापान को पीछे छोड़ना एक बहुत दूर का सपना लगता था। लेकिन आज वह सपना साकार हो गया है।
GDP क्या होता है?
GDP यानी सकल घरेलू उत्पाद, एक देश में एक साल में बनने वाले सभी सामानों और सेवाओं की कुल कीमत होती है। यह बताता है कि देश की अर्थव्यवस्था कितनी बड़ी और मजबूत है।
भारत की इस प्रगति के पीछे कई दशकों की मेहनत, योजनाएं और आर्थिक सुधार हैं। आनंद महिंद्रा ने कहा कि यह सफलता भारत के करोड़ों लोगों की मेहनत, नवाचार और महत्वाकांक्षा का परिणाम है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अब भारत को और अधिक असंतुष्ट रहना चाहिए, यानी अभी और मेहनत की जरूरत है।
जापान को पीछे छोड़ना
जापान लंबे समय से एक आर्थिक महाशक्ति रहा है। वहां की उत्पादकता, तकनीकी नवाचार और प्रबंधन प्रणाली को पूरी दुनिया सराहती है। भारत का जापान को पीछे छोड़ना दिखाता है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं। यह बदलाव केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि सोच और दृष्टिकोण का भी प्रतीक है।
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने बताया कि अब केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी ही भारत से आगे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत ने अपने मौजूदा नीतियों और सुधारों को जारी रखा, तो अगले ढाई से तीन साल में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकते हैं।
व्यक्तिगत आय (Per Capita Income) की जरूरत
हालांकि GDP के मामले में भारत ने बड़ी छलांग लगाई है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय अभी भी कम है। प्रति व्यक्ति आय से यह पता चलता है कि एक आम नागरिक साल में औसतन कितना कमाता है। आनंद महिंद्रा ने कहा कि अब अगला लक्ष्य भारत की प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाना होना चाहिए।

2013-14 में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग 1,438 डॉलर थी, जो अब 2025 में बढ़कर 2,880 डॉलर होने की उम्मीद है। यह दर जरूर दोगुनी हुई है, लेकिन अभी भी विकसित देशों से बहुत पीछे है।
भविष्य की दिशा
भारत को यदि दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है और अपने नागरिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है, तो कुछ अहम क्षेत्रों में सुधार जरूरी हैं। इनमें शासन प्रणाली (Governance), बुनियादी ढांचा (Infrastructure), निर्माण क्षेत्र (Manufacturing), शिक्षा और पूंजी तक पहुंच (Capital Access) शामिल हैं।
आनंद महिंद्रा ने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अब इन क्षेत्रों में निरंतर सुधार की जरूरत है। केवल जीडीपी में वृद्धि काफी नहीं है, जब तक हर नागरिक को इसका लाभ न मिले।
भारत और अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाएं
भारत अब चौथे स्थान पर है, लेकिन बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से अंतर अभी भी बहुत अधिक है। उदाहरण के लिए:
- अमेरिका का अनुमानित GDP: 30.5 ट्रिलियन डॉलर (भारत से लगभग 7 गुना अधिक)
- चीन का अनुमानित GDP: 19.2 ट्रिलियन डॉलर
- जर्मनी का GDP: भारत से थोड़ा ही आगे
इससे यह स्पष्ट है कि हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है। लेकिन यह शुरुआत बहुत ही सशक्त है और एक सकारात्मक दिशा की ओर इशारा करती है।
आर्थिक विकास की दर
IMF के अनुसार, भारत की आर्थिक विकास दर वर्ष 2025-26 में 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह दर पहले अनुमानित 6.5 प्रतिशत से थोड़ी कम है, जिसका कारण वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और तनाव बताया गया है।
फिर भी 6.2 प्रतिशत की विकास दर दुनिया के बड़े देशों में सबसे तेज़ है। यह दर्शाता है कि भारत की आर्थिक नींव मजबूत हो रही है और सुधारों का असर दिख रहा है।
आम जनता के लिए क्या मायने?
इस उपलब्धि का सीधा असर आम नागरिकों की जिंदगी पर तभी पड़ेगा जब:
- रोजगार के अवसर बढ़ें
- रोजगार के अवसर बढ़ें
- महंगाई नियंत्रित हो
- शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हों
- छोटे व्यापारियों और किसानों को वित्तीय सहायता मिले
- भारत की आर्थिक प्रगति तभी सार्थक होगी जब इसका लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुंचे।
भारत का चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और संभावनाओं का प्रतीक है। यह एक संकेत है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी जगह मजबूत कर रहा है।
लेकिन यह भी एक याद दिलाता है कि हमें और सुधारों की जरूरत है, ताकि यह आर्थिक सफलता आम जनता की जिंदगी में भी सकारात्मक बदलाव ला सके। जैसा कि आनंद महिंद्रा ने कहा, हमें संतुष्ट नहीं होना है, बल्कि और बेहतर करने की कोशिश जारी रखनी है।
अब भारत का सपना है – दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना और हर नागरिक को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।