भारत के सबसे बड़े समूहों में से एक, टाटा सन्स के चेयरमैन एरमिटस Ratan tata का 86 वर्ष की आयु में निधन( 09/10/2024) हो गया। उन्हें सोमवार को मुंबई के Breach Candy Hospital में भर्ती कराया गया था, जहां उनका रक्तचाप अचानक गिर गया था। उनकी स्थिति गंभीर थी और वे गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में थे। उनकी मौत की खबर ने देश और दुनिया भर में उनके प्रशंसकों और समर्पित अनुयायियों के दिलों में शोक की लहर दौड़ा दी। सोमवार को रतन टाटा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में अपनी सेहत को लेकर चल रही अटकलों को खारिज किया था और बताया था कि वे अपनी उम्र के चलते नियमित चिकित्सा जांच करवा रहे हैं।
Ratan tata का जीवन और योगदान :
Ratan tata का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। वे टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते हैं। रतन टाटा ने 1990 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में काम किया और अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम अध्यक्ष भी रहे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई।
Ratan tata को 2008 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण से नवाजा गया था। इससे पहले, उन्हें 2000 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। उनके योगदान ने टाटा समूह को एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के रूप में स्थापित किया।
सबसे बड़े परोपकारी व्यक्तियों में से एक :
Ratan tata न केवल एक सफल व्यवसायी थे, बल्कि वे दुनिया के सबसे बड़े परोपकारी व्यक्तियों में से एक भी थे। उन्होंने अपने आय का लगभग 60-65% दान में दिया। उनके द्वारा स्थापित टाटा ट्रस्ट्स ने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। उनका मानना था कि व्यवसाय का उद्देश्य केवल मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि समाज की भलाई के लिए काम करना भी है।
N चंद्रशेखरन ने रतन टाटा की मृत्यु पर कहा –
N चंद्रशेखरन, टाटा सन्स के चेयरमैन, ने Ratan tata की मृत्यु पर कहा, “यह एक गहन दुख के साथ है कि हम श्री रतन नवल टाटा को अलविदा कह रहे हैं, एक वास्तव में असामान्य नेता जिनका अपार योगदान न केवल टाटा समूह को, बल्कि हमारे देश के ताने-बाने को भी आकार देने में मदद की है।”
उन्होंने आगे कहा, “रतन टाटा हमारे लिए केवल एक चेयरमैन नहीं थे। वे मेरे लिए एक मेंटर, गाइड और दोस्त थे। उनका जीवन उत्कृष्टता, सत्यनिष्ठा और नवाचार के प्रति अडिग प्रतिबद्धता का प्रतीक था।”
टाटा समूह का विकास :
Ratan tata ने 1991 में टाटा समूह की अध्यक्षता ग्रहण की और 2012 तक इस पद पर बने रहे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई महत्वपूर्ण कंपनियों की स्थापना की, जैसे 1996 में टाटा टेलीसेर्विसेज और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज। 2009 में उन्होंने दुनिया की सबसे सस्ती कार, टाटा नैनो, को पेश किया, जिसका मूल्य केवल ₹1 लाख था। यह कार नवाचार और सस्ती कीमत का प्रतीक बन गई।
2004 में, टाटा समूह ने प्रतिष्ठित ब्रिटिश कार ब्रांड्स Jaguar और Land Rover का अधिग्रहण किया। इस अधिग्रहण ने टाटा समूह को एक नया आयाम दिया और इसे “रिवर्स उपनिवेशवादी” के रूप में स्थापित किया।
रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणा:
रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि कैसे एक सफल व्यवसायी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकता है। उनका दृष्टिकोण, जिसमें उन्होंने व्यवसाय के साथ-साथ परोपकार को भी महत्व दिया, आज के व्यवसायियों के लिए एक आदर्श है।
उनकी मृत्यु के बाद, उनके योगदान को याद किया जाएगा और टाटा समूह की सफलता की कहानी हमेशा उनके नाम से जुड़ी रहेगी। रतन टाटा ने साबित कर दिया कि एक व्यक्ति का समर्पण और मेहनत समाज को कैसे प्रभावित कर सकता है।
रतन टाटा की विदाई ने पूरे देश को गहरा दुख दिया है। उनके योगदान, दृष्टिकोण और परोपकारिता के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। जैसे-जैसे हम उनके जीवन पर विचार करते हैं, हमें यह याद रखना चाहिए कि Ratan tata ने हमें दिखाया कि व्यवसाय और मानवता एक साथ चल सकते हैं। उनकी प्रेरणा से आने वाली पीढ़ियाँ सीखेंगी कि सच्ची सफलता केवल मुनाफे में नहीं, बल्कि समाज की भलाई में है।
रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने का यह समय है, और हम सभी उनके द्वारा किए गए कार्यों और उनके दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने का प्रयास करें। उनके बिना, यह दुनिया एक अद्वितीय नेता को खो चुकी है, लेकिन उनका दृष्टिकोण और प्रेरणा हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।