दुर्गा पूजा, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे भारत में विशेष रूप से बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार देवी दुर्गा की पूजा करने का एक अवसर है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानी जाती हैं। इस साल, Durga Puja (दुर्गा पूजा) का उत्सव 8 अक्टूबर 2024, मंगलवार से शुरू होगा और 13 अक्टूबर, रविवार तक चलेगा। इसे “दुर्गोत्सव” भी कहा जाता है। यह उत्सव विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और अन्य पूर्वी भारतीय राज्यों में मनाया जाता है।
उत्सव की तिथियाँ:
2024 में Durga Puja की तिथियाँ निम्नलिखित हैं:
पंचमी: 8 अक्टूबर, मंगलवार
षष्ठी: 9 अक्टूबर, बुधवार
सप्तमी: 10 अक्टूबर, गुरुवार
अष्टमी: 11 अक्टूबर, शुक्रवार
नवमी: 12 अक्टूबर, शनिवार
दशमी: 13 अक्टूबर, रविवार
इन तिथियों के दौरान, विभिन्न अनुष्ठान और पूजा के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो इस उत्सव को खास बनाते हैं।
Durga Puja का महत्व:
Durga Puja (दुर्गा पूजा का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक समारोह भी है। इस दौरान, लोग एकत्र होते हैं, आपस में मिलते हैं, और अपनी संस्कृति को मनाते हैं। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करती है। देवी दुर्गा का चित्रण एक शक्तिशाली महिला के रूप में किया गया है, जो अपने बच्चों की रक्षा करती हैं और समाज में सही और गलत के बीच अंतर करती हैं।
उत्सव का प्रारंभ: पंचमी
Durga Puja (दुर्गा पूजा) का उत्सव पंचमी से शुरू होता है। इस दिन को कुछ जगहों पर देवी के स्वागत के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। पंचमी के दिन देवी दुर्गा की मूर्ति को पहले से सजाया जाता है और विभिन्न सामग्रियों से उन्हें पूजने का क्रम शुरू होता है। लोग घरों में देवी की मूर्ति स्थापित करते हैं और विशेष पूजा करते हैं।
बोधन (षष्ठी) :
षष्ठी के दिन “बोधन” की पूजा की जाती है। यह पूजा देवी दुर्गा के जागरण का प्रतीक है। इस दिन, पुजारी एक बिल्व वृक्ष (बेल का पेड़) के साथ एक आईने का इस्तेमाल करते हैं। इसके माध्यम से देवी का दर्शन कराया जाता है। इस समय भक्त देवी को फल, फूल और मिठाइयाँ अर्पित करते हैं, साथ ही मंत्रों का उच्चारण भी करते हैं। यह पूजा सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह देवी के आगमन की शुरुआत को दर्शाती है।
सप्तमी का उत्सव:
सप्तमी के दिन, “नबापत्रिका” की पूजा होती है। नबापत्रिका एक केले के पेड़ के रूप में सजाई जाती है और इसे देवी दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से स्नान के बाद नबापत्रिका को सजाया जाता है। इसे एक पारंपरिक साड़ी पहनाई जाती है, और इसके बाद इसे देवी के पास रखा जाता है। इस पूजा के दौरान भक्त विशेष भोग अर्पित करते हैं और देवी के प्रति अपनी भक्ति प्रकट करते हैं।
महाअष्टमी: मुख्य दिन
महाअष्टमी, दुर्गा पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन को देवी दुर्गा के महिषासुर के साथ युद्ध करने और उसे पराजित करने के दिन के रूप में मनाया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें “संधी पूजा” शामिल होती है। यह पूजा अष्टमी और नवमी के बीच की जाती है और इसे सबसे शुभ समय माना जाता है।
महाअष्टमी के दिन, पूजा का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस वर्ष, पुष्पांजलि का समय सुबह 5:45 बजे से 6:00 बजे के बीच निर्धारित किया गया है। हालांकि, यह समय कई भक्तों के लिए प्रैक्टिकल नहीं है, इसलिए बहुत से लोग बिसुद्ध सिद्धांत पंचांग का पालन करते हुए पुष्पांजलि का समय सुबह 9:30 बजे से 11:30 बजे तक निर्धारित करेंगे। इस समय भक्त देवी को फूल अर्पित करते हैं और अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
महाअष्टमी का दिन बहुत खास होता है। भक्त देवी को 108 दीप जलाकर, फल, फूल, मिठाई और अन्य वस्तुएँ अर्पित करते हैं। इस दिन भक्त “दुर्गा सप्तशती” या “चंडी पाठ” का पाठ करते हैं, जिसमें देवी दुर्गा के लिए 700 मंत्र शामिल होते हैं। यह दिन भक्तों के लिए विशेष श्रद्धा और भक्ति का समय होता है।
महानवमी: पूजा का समापन :
महानवमी का दिन Durga Puja (दुर्गा पूजा) का समापन करता है। इस दिन देवी को स्नान कराया जाता है और विशेष नवमी पूजा का आयोजन किया जाता है। भक्त देवी को नौ प्रकार की पत्तियाँ और फूल अर्पित करते हैं। इस दिन का अंत महा आरती से होता है, जिसमें सभी भक्त एकत्र होकर दीप जलाते हैं और भक्ति गीत गाते हैं।
महानवमी का महत्व इस तथ्य से भी बढ़ जाता है कि “संधी पूजा” 11:30 बजे से शुरू होती है, जो महानवमी के आरंभ का संकेत देती है। महानवमी का यह पर्व 11 अक्टूबर की दोपहर से शुरू होकर 12 अक्टूबर के पूरे दिन तक चलता है। भक्त इस समय को बहुत खास मानते हैं और देवी की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं।
विजयादशमी: अंतिम दिन
Durga Puja (दुर्गा पूजा) का अंतिम दिन विजयादशमी होता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और देवी दुर्गा के वापस स्वर्ग लौटने का समय होता है। इस दिन “दुर्गा विसर्जन” समारोह आयोजित किया जाता है। देवी की मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित किया जाता है, जो उनके पृथ्वी से विदाई का संकेत है। भक्त इस दिन देवी को विदाई देते हैं और उनकी पुनः वापसी की कामना करते हैं।
विजयादशमी के दिन, भक्त अपने नए कार्यों की शुरुआत भी करते हैं, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि हमें अपने जीवन में सकारात्मकता को अपनाना चाहिए और बुराई का सामना करना चाहिए।
दुर्गा पूजा का सांस्कृतिक पहलू:
Durga Puja (दुर्गा पूजा) केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है; यह एक सांस्कृतिक महोत्सव भी है। इस दौरान लोग विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। नृत्य, संगीत, नाटक और विभिन्न लोक कलाएँ इस उत्सव का हिस्सा होती हैं। लोग एकत्र होकर गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं, और एक-दूसरे के साथ मिलकर आनंदित होते हैं। यह समय परिवारों और दोस्तों के साथ बिताने का होता है।
हर साल, विभिन्न स्थानों पर भव्य पंडाल सजाए जाते हैं, जो कि दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। पंडालों में विभिन्न थीम पर आधारित सजावट की जाती है, और लोग इनकी भव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। पंडालों में देवी दुर्गा की मूर्तियाँ भी स्थापित की जाती हैं, जो कि विशेष रूप से तैयार की जाती हैं।
समाज में एकता और प्रेम :
Durga Puja का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि यह समाज में एकता और प्रेम को बढ़ावा देती है। विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमियों के लोग इस उत्सव में भाग लेते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर इसे मनाते हैं। यह समय भाईचारे और सहिष्णुता को बढ़ावा देने का होता है। लोग एक-दूसरे को मिठाइयाँ बांटते हैं, तो वहीं समारोहों में शामिल होते हैं। यह सब मिलकर हमें यह याद दिलाता है कि हम सभी एक ही परिवार का हिस्सा हैं।
समापन :
Durga Puja का यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में सकारात्मकता को अपनाना चाहिए और बुराई के खिलाफ खड़े होना चाहिए। यह केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि एक ऐसा अवसर है जब हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करते हैं और एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी का अनुभव करते हैं। इस साल, Durga Puja में भाग लेकर हम सभी एकजुट होकर अच्छाई की विजय का जश्न मना सकते हैं।
आइए, हम सभी मिलकर इस Durga Puja के पर्व को उत्साह और भक्ति के साथ मनाएं, ताकि यह त्योहार हमारे जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाए। दुर्गा मां की कृपा से हम सभी के जीवन में सफलता और खुशी बनी रहे!
khabarsuchna.com , Durga Puja 2024
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