हेमंत सोरेन का शपथ ग्रहण : क्या होगा राज्य के लिए नया और खास?

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन 29 नवम्बर को झारखंड राज्य के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं। यह शपथ ग्रहण समारोह रांची में आयोजित किया जाएगा, जहां राज्य के कई प्रमुख राजनीतिक नेता मौजूद रहेंगे। इनमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रमुख हैं।

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार हेमंत सोरेन को 4 बजे शपथ दिलाएंगे। यह हेमंत सोरेन का चौथा कार्यकाल होगा, और उनके नेतृत्व में झारखंड में एक नए राजनीतिक दौर की शुरुआत हो रही है।

झारखंड विधानसभा चुनाव में जीत

झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की अगुवाई में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने शानदार प्रदर्शन किया और 81 सदस्यीय विधानसभा में 56 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया। इस जीत के साथ ही, भाजपा-नैशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) को महज 24 सीटों पर संतोष करना पड़ा। हेमंत सोरेन ने बारहाईत सीट से भाजपा के उम्मीदवार गामलियेल हेम्ब्रम को 39,791 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत न केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि राज्य में जमीनी स्तर पर उनके नेतृत्व का समर्थन भी दिखाती है।

समारोह की तैयारियाँ

रांची शहर में इस समारोह के लिए पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं, और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। ट्रैफिक नियमों में बदलाव भी किया गया है ताकि कार्यक्रम के दौरान लोगों को कोई परेशानी न हो। स्कूलों को भी बंद रखा गया है ताकि लोग इस ऐतिहासिक अवसर पर भाग ले सकें।

झारखंड कांग्रेस के प्रभारी और पार्टी के महासचिव गुलाम अहमद मीर ने कहा कि हेमंत सोरेन शपथ अकेले लेंगे और बाद में विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के बाद कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा।

हेमंत सोरेन का संदेश

शपथ लेने से कुछ घंटे पहले हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक संदेश पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने राज्य की एकता की ताकत को प्रमुख रूप से उजागर किया। उन्होंने लिखा, “हमारी एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हम न तो बंट सकते हैं और न ही चुप कर सकते हैं। जब भी हमें पीछे धकेला जाता है, हम आगे बढ़ते हैं। जब भी हमें चुप कराने की कोशिश की जाती है, हमारा आवाज़ और तेज़ होती है।”

यह संदेश सीधे तौर पर भाजपा और केंद्र सरकार को चुनौती देने जैसा था, जो अक्सर राज्य सरकारों और खासकर झारखंड की आवाज़ को दबाने का प्रयास करती रही है। हेमंत सोरेन का यह संदेश एक प्रकार से राज्य के लोगों के लिए एक शक्ति प्रदर्शन था, जिसमें उन्होंने अपने संघर्ष को निरंतर जारी रखने की बात कही।

शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने वाले प्रमुख नेता

हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण समारोह में कई शीर्ष राजनीतिक नेता शामिल होंगे, जो इस मौके को ऐतिहासिक मानते हैं। इसमें कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्हू शामिल होंगे।

इसके अलावा, कई अन्य महत्वपूर्ण नेता जैसे सीपीआई (ML) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल, शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी इस अवसर पर उपस्थित रहने की संभावना है।

हेमंत सोरेन ने बुधवार को समारोह स्थल, मोराबाड़ी मैदान का दौरा किया था और सभी व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि इतने सम्मानित नेताओं का साथ हमें मिल रहा है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की

हेमंत सोरेन ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की थी। यह उनका पहला दिल्ली दौरा था, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से राज्य के मुद्दों पर चर्चा की। साथ ही, यह बैठक उनकी पार्टी द्वारा लगातार दूसरी बार राज्य में सत्ता में लौटने के बाद हुई, जो उनकी राजनीतिक पकड़ को और मजबूत करती है।

चुनाव परिणाम और गठबंधन की सफलता

झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपने सबसे अच्छे प्रदर्शन की ओर कदम बढ़ाया। पार्टी ने 43 सीटों में से 34 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस ने 16, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने 4 और CPI(ML)L ने 2 सीटें जीतीं। इस परिणाम ने गठबंधन को बहुमत दिलाया और राज्य में सरकार गठन के लिए रास्ता साफ किया।

यह सफलता इस बात का संकेत है कि झारखंड की जनता ने एक बार फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व पर विश्वास जताया है। उनकी पार्टी की ओर से किये गए विकास कार्यों और जन कल्याण योजनाओं को लोगों ने सराहा और उन्हें दोबारा सत्ता में लाया।

झारखंड राज्य के सामने कई चुनौतियाँ

हेमंत सोरेन के चौथे कार्यकाल में झारखंड राज्य के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें बेरोज़गारी, गरीबी और ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव प्रमुख हैं। राज्य में आदिवासी और पिछड़ी जातियों के अधिकारों की सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा। उनके कार्यकाल में यह देखना होगा कि वे इन मुद्दों पर कितनी तेजी से काम करते हैं और राज्य के विकास में क्या बदलाव लाते हैं।

इसके अलावा, राजनीतिक स्तर पर भी उन्हें भाजपा और केंद्र सरकार के साथ कई टकरावों का सामना करना पड़ सकता है। सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच सत्ता संघर्ष हमेशा की तरह इस कार्यकाल का हिस्सा बनेगा, जिसमें झारखंड के हितों की रक्षा के लिए हेमंत सोरेन को अपने राजनैतिक कौशल का भरपूर उपयोग करना होगा।

नई दिशा मिलने की संभावना

हेमंत सोरेन का चौथा कार्यकाल झारखंड के लिए एक नया अध्याय होगा, जो कई उम्मीदों और चुनौतियों के साथ शुरू हो रहा है। उनके नेतृत्व में राज्य को विकास और सामाजिक न्याय के लिए नई दिशा मिलने की संभावना है। उनके लिए यह अवसर न केवल राज्य के विकास को गति देने का है, बल्कि वह आदिवासी समुदायों और पिछड़ी जातियों के लिए अपनी सरकार के वादों को पूरा करने का भी एक महत्वपूर्ण समय होगा।

हेमंत सोरेन का शपथ ग्रहण समारोह झारखंड राज्य में राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। यह अवसर न केवल उनकी राजनीतिक सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य के भविष्य के लिए नई दिशा और विकास की संभावनाओं को भी उजागर करता है। जैसे-जैसे वह अपने चौथे कार्यकाल की शुरुआत करते हैं, उनकी योजनाओं और कदमों से झारखंड के लोग यह उम्मीद करेंगे कि राज्य में बदलाव की लहर तेज होगी और समाज में समानता और न्याय की भावना और मजबूत होगी।

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